एक संत से किसी ने पूछा कि *महाराज मन में न चाहते हुवे भी ये विकार क्यों आ जाते हैं?*
तो उन्होंने हंसते हुए कहा कि *तुम्हारी दाढ़ी मूंछ तुम्हारे चाहने से आती है या बिना बुलाये?*
उसने कहा, *बाबा ये तो प्रकृति के कारण आ जाती है। चाहो या न चाहो दाढ़ी मूंछ तो आएगी ही।*
संत ने कहा, *इसी तरह तुम चाहो या न चाहो विकार तो आएंगे ही।*
क्योंकि *प्रकृति गुण और अवगुणों से मिलकर बनी है इसीलिए इन विकारों को आने से कोई नहीं रोक सकताl*
जिस तरह *दाढ़ी को बनाने के लिए उस्तरा तैयार रखते हो उसी तरह इन विकारों को साफ करने के लिए सत्संग का उस्तरा तैयार रखो!*
जैसे ही विकार आये सत्संग के उस्तरे से साफ करते चलो!
क्योंकि *विकारों को मिटाया नहीं जा सकता बस साफ किया जा सकता हैl*
इसलिए *सत्संग की विशेष महिमा है! यही मन के विकारों को दूर करने का तरीका बतलाया जाता है!*
*🙇♂️👏👏🙇♂️*