तो यह बात जानने की है कि जिसने उस चीज़ को जान लिया अपने अंदर, अपने मकसद को जान लिया उसके लिए सचमुच में यह संसार एक दूसरा संसार है। और जिसने नही जाना जिसने नही समझा, उसके लिए जैसा है वैसा है।
भजन न गुरु से होता है और न ईश्वर से ही होता है, प्रत्युत हमारी सच्ची लगन से होता है। खुद की लगन के बिना भगवान् भी कल्याण नहीं कर सकते। अगर कर देते तो हम आज तक भक्ति से वंचित क्यों रहते ?