विभीषण को गले से लगाया गया, सूर्पनखा को दृष्टि तक नहीं मिली। यहाँ तक की जब सुग्रीव ने पूछा कि भगवान आपने विभीषण को लंकापति बना दिया, यदि कल रावण भी शरण में आ गया तो उसे क्या देंगे? राम जी ने कहा कि मैं भरत को वन में बुला लूंगा, रावण को अयोध्या दे दूंगा।