*🌿🌹गुरु के प्रति समर्पण ही शिष्य की पात्रता है, समर्पण के माध्यम से गुरुशक्ति शिष्य में प्रवाहित होने लगती है।* शिष्य वही है जो गुरु के पास स्वयं को पूर्णतः झुका दे, गुरु उसी शिष्य के अन्तर्मन मे प्रवेश कर उसे निर्मल बनाते हैं। दीक्षा लेकर भी यदि शिष्य सरल चित न होकर अंहकारी बना रहे तो आध्यात्मिक तल पर कभी भी आगे नहीं बढ़ सकता❗
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