*एक जापानी कथा है।* एक युवक विवाहित हुआ। अपनी पत्नी को ले कर—समुराई था, क्षत्रिय था—अपनी पत्नी को लेकर नाव में बैठा। दूसरी तरफ उसका गांव था। बड़ा तूफान आया, अंधड़ उठा, नाव डावाडोल होने लगी, डूबने—डूबने को होने लगी। पत्नी तो बहुत घबड़ा गई। मगर युवक शांत रहा। उसकी शांति ऐसी थी जैसे बुद्ध की प्रतिमा हो। उसकी पत्नी ने कहा, तुम शांत बैठे हो, नाव डूबने को हो रही, मौत करीब है! उस युवक ने झटके से अपनी तलवार बाहर निकाली, पत्नी के गले पर तलवार लगा दी। पत्नी तो हंसने लगी। उसने कहा : क्या तुम मुझे डरवाना चाहते हो?
*एक जापानी कथा है।* एक युवक विवाहित हुआ। अपनी पत्नी को ले कर—समुराई था, क्षत्रिय था—अपनी पत्नी को लेकर नाव में बैठा। दूसरी तरफ उसका गांव था। बड़ा तूफान आया, अंधड़ उठा, नाव डावाडोल होने लगी, डूबने—डूबने को होने लगी। पत्नी तो बहुत घबड़ा गई। मगर युवक शांत रहा। उसकी शांति ऐसी थी जैसे बुद्ध की प्रतिमा हो। उसकी पत्नी ने कहा, तुम शांत बैठे हो, नाव डूबने को हो रही, मौत करीब है! उस युवक ने झटके से अपनी तलवार बाहर निकाली, पत्नी के गले पर तलवार लगा दी। पत्नी तो हंसने लगी। उसने कहा : क्या तुम मुझे डरवाना चाहते हो?