यह कथा हर रक्षाबंधन पर आपसे साझा करता हूँ लेकिन यह इतना अद्भुत है कि इसके बिना इस पर्व का उत्सव अधूरा लगता है। कहते हैं कि अशोक वाटिका में रावण के अवांछित निकट आने पर माँ सीता ने रावण के और अपने बीच एक तिनका रख दिया था और उसे चेतावनी दी थी कि तू यदि इतना ही सामर्थ्यशाली है तो इस तिनके को पार कर के दिखा. एक ज़रा से तिनके पर किस अखण्ड विश्वास का क्या कारण हो सकता था? तिनके को "भूमिज" कहा जाता है (अर्थात जो भूमि की कोख से पैदा हुआ हो) और माँ सीता का अवतरण भी भूमि से ही हुआ था, जिसके कारण उन्हें "भूमिजा" भी कहा जाता है. माता सीता ने उस तिनके में अपना सहोदर, भूमि से ही उपजा अपना भाई देखा था और वो जानती थीं कि किसी भाई की उपस्तिथि में किसी भी दुराचारी रावण की इतनी सामर्थ्य नहीं कि उसकी बहन को छू भी सके. ईश्वर सभी बहनों को भाई के रूप में ऐसा भरोसा दे। रक्षाबंधन की अनेक शुभकामनाएं। 🙏🙏